हिन्दी आशुलिपि के लिए सबसे खास होता है कि आप हिन्दी भाषा में कितने प्रवीण हैं। अगर आप हिन्दी व्याकरण से अपरिचित हैं तो आपकी अशुद्धियॉं आपको आशुलिपिक नहीं बनने देंगी।
अगर आप आशुलिपि करने जा रहे हैं या आशुलिपि कर रहे हैं तो आपके लिए यह आवश्यक हो जाता है कि आपकी उस भाषा में अच्छी पकड़ हो जिस भाषा में आप आशुलिपि करना चाहते हैं। आशुलिपि सीखना कठिन नहीं है, आशुलिपि में असली कठिनाई लिप्यंतरण होती है। संकेत बनाना आसान है, परंतु उन संकेतों को समझकर वापिस उसे मूल स्वरूप प्रदान करना सबसे बड़ी कठिनाई होती है।
यहॉं पर हम आपको कुछ ऐसे सुझाव देंगे जिनको फॉलो करके आप आसानी से अपनी भाषा के ग्रामर को मजबूत बनाकर एक आशुलिपि की ओर एक कदम मजबूती से बढ़ा सकते हैं। चूॅंकि हम हिन्दी आशुलिपि से परिचित हैं इसलिए हम यहॉं पर हिन्दी आशुलिपि के बारे में ही चर्चा करेंगे।
नियमित रूप से लेख, कहानी या श्रुतलेख पढ़ें।
जब हम किसी को देखते हैं तभी हमें उसका चेहरा याद होता है ठीक इसी प्रकार से अध्ययन में होता है। जब तक हम किसी शब्द को पढ़ेंगे नहीं, उसकी संरचना, कि वह कैसे बनता है, आपको याद नहीं होगी। इसलिए सबसे पहला सुझाव यही होगा कि आप नियमित रूप से श्रुतलेख पढ़ें।
अब आपका कहना होगा कि हम नियमित रूप से श्रुतलेखन अभ्यास करते हैं, फिर भी हमारी त्रुटियॉं कम नहीं होती हैं। आपको बता दें कि एक दो श्रुतलेख पढ़ने से आपके मस्तिष्क को कुछ ही नये शब्द देखने को मिलेंगे इसलिए हर दिन कम से कम 20 श्रुतलेख सरसरी निगाह से अवश्य पढ़ें। इससे आप नये शब्दों से परिचित तो होंगे ही साथ ही साथ आपको यह भी पता चलेगा कि कहॉं पर पैराग्राफ बनता है और कहां पर विराम चिह्न का प्रयोग होता है।
यदि आप श्रुतलेख पढ़ने में बोरियत महसूस करते हैं तो ऐसे लेख या कहानियॉं पढ़ें जो व्याकरणिक रूप से शुद्ध हों। हालॉंकि इंटरनेट पर कई वेबसाइट हैं जो कहानी एवं लेख प्रकाशित करते हैं परंतु इनमें से ज्यादातर में हिन्दी व्याकरण की अशुद्धियॉं रहती हैं। यदि आप इन वेबसाइट्स का सहारा लेंगे तो आपकी अशुद्धियॉं कम होने के बजाय बढ़ जाएंगी। इसलिए ऐसे वेबसाइट्स से सावधान रहें।
नियमित रूप से एक लेख लिखें।
यदि आप शब्दों का तालमेल बैठाना नहीं सीख पाए तो आप 'राम चली गई पानी पीने' को सही समझेंगे। इसलिए पढ़ने के साथ अभिव्यक्ति भी अत्यंत आवश्यक है। इसके लिए आप नियमित रूप से एक लेख लिखने का प्रयास करें। हो सकता है कि प्रारंभ में आप को यह कठिन लगे, परंतु धीरे—धीरे आप अपने शब्दों को एक पैराग्राफ में बुनने लगेंगे।
शब्दों का संग्रह तैयार करें
अगर आप उपरोक्त दोनों ही सुझाव फॉलो करने में अक्षम हैं तो आप उपयोगी शब्दों का अथवा ऐसे शब्द जो, आपने कभी सुने नहीं या ऐसे शब्द जिन पर आपको शंका है कि वह आप गलत बना सकते हैं, ऐसे सभी शब्दों का एक संग्रह तैयार करें और उसको हर रोज सरसरी निगाह से देखते रहें। सप्ताह से लेकर पंद्रह दिवस नियमित रूप से ऐसे शब्दों का अवलोकन करने से आपको स्वमेव अंतर नजर आएगा।
उपरोक्त तीनों सुझाव को अगर आप फॉलो करते हैं तो यकीन मानिए बीस दिवस के भीतर ही आपकी त्रुटियों में कमी आएगी और आप अपने भीतर एक आत्मविश्वास महसूस करेंगे। शर्त यही है कि आपको लगातार 20 दिवस तक उपरोक्त नियम फॉलो करना होगा।
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