आशुलिपि एक ऐसी प्रणाली है जिसके माध्यम से आप किसी अनुच्छेद को सार्थक रूप से गतिमान रूप से लिख सकते हैं। हालॉंकि यह भाषा नहीं है परंतु एक भाषा की तरह ही इसे सीखना पड़ता है जिसमें वर्णमाला से शुरूआत करके अनुच्छेद लेखन तक प्रशिक्षण दिया जाता है।
आशुलिपि में श्रुतलेख (बोले गए पैराग्राफ या अनुच्छेद) को आशुलिपि में कलम की सहायता से लिखना होता है और फिर उसको टाइपराइटर या कंप्यूटर की सहायता से उसी भाषा में टाइप करना होता है, जिस भाषा में वह बोला गया होता है।
आशुलिपि में श्रुतलेख (बोले गए पैराग्राफ या अनुच्छेद) को आशुलिपि में कलम की सहायता से लिखना होता है और फिर उसको टाइपराइटर या कंप्यूटर की सहायता से उसी भाषा में टाइप करना होता है, जिस भाषा में वह बोला गया होता है।
न केवल अंग्रेजी बल्कि हिन्दी, मराठी, तमिल, उर्दू आदि भाषाओं में भी स्टेनोग्राफी का प्रशिक्षण दिया जाता है। जिस भाषा की स्टेनो सीख ली जाती है, व्यक्ति उसी भाषा का स्टेनोग्राफर कहलाता है। वर्तमान में अंग्रेजी स्टेनोग्राफी का सर्वाधिक महत्व है क्योंकि यह विश्व की सर्वाधिक प्रयोग होने वाली भाषाओं में से एक है। अगर भारतीय प्रदेश, जिनमें हिन्दी भाषा में कार्य होता है, के बारे में चर्चा करें तो यहॉं पर हिन्दी भाषी स्टेनोग्राफर की अधिक मॉंग होती है।
जैसा कि पहले बताया गया है कि स्टेनोग्राफी का प्रशिक्षण कई भाषाओं में दिया जाता है, जिस भाषा को आप अच्छी तरह से जानते हैं, उसी भाषा में स्टेनोग्राफी करनी सही होता है क्योंकि स्टेनोग्राफी के साथ—साथ हमें उस भाषा विशेष पर अच्छी पकड़ होना एवं उसकी व्याकरण का अच्छा ज्ञान होना भी आवश्यक होता है।
कैसे करें स्टेनोग्राफी ?
स्टेनोग्राफी का कोर्स एक वर्ष की अवधि का रखा गया है, जो औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थाओं यानि आई.टी.आई. में कराया जाता है और परीक्षा उपरांत आपको उत्तीर्ण होने पर प्रमाण पत्र दिया जाता है। इसके अतिरिक्त प्रदेश विशेष में बोर्ड अथवा परिषद् के माध्यम से भी आशुलिपि का प्रमाण पत्र प्रदान किया जाता है। 2013 तक मध्यप्रदेश में स्टेट बोर्ड द्वारा आशुलिपि का प्रमाण पत्र प्रदान किया जाता था, वर्तमान में यह बन्द कर दिया गया है।
अगर आप मात्र नॉलेज के लिए ही आशुलिपि प्रशिक्षण लेना चाहते हैं तो आप किसी कोचिंग या प्रशिक्षण संस्था को ज्वाइन कर सकते हैं, जहॉं पर आप निर्धारित शुल्क अदा कर प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं।
कौन सी प्रणाली बेहतर है ?
जिस प्रकार से आशुलिपि तमाम भाषाओं में कराई जाती है, उसी प्रकार से आशुलिपि की कई प्रणालियॉं भी हैं, जैसे — हिन्दी भाषा में ऋषि प्रणाली, सिंह प्रणाली, दत्त प्रणाली, मानक प्रणाली, जैन प्रणाली, विशिष्ट प्रणाली इत्यादि प्रणालियॉं हिन्दी आशुलिपि का प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए उपयोग हो रही हैं।
सभी प्रणाली अपनी—अपनी जगह पर बेहतर और श्रेष्ठ हैं। हॉं, यह अवश्य है कि जो प्रणाली प्राचीन है, उसके दोषों को नवीन प्रणाली में दूर कर दिया जाता है और एक सुलभ रूप में आपको आशुलिपि सिखाई जाती है। परंतु प्राचीन प्रणाली के प्रशिक्षक अधिक होने से अधिकांशत: प्राचीन प्रणाली को ही सिखाया जा रहा है। उदाहरणार्थ — ऋषि प्रणाली काफी पुरानी है, इसके बाद में अन्य प्रणालियॉं विकसित हुई हैं परंतु इनके प्रशिक्षक न होने से यह प्रणाली न तो सुनने को मिलती हैं और न ही इनके प्रशिक्षण संस्थान हर जगह देखने को मिलते हैं।
आपके लिए यही बेहतर होगा कि आपके आसपास जो प्रणाली सुलभ हो, उसका ही प्रशिक्षण प्राप्त करें लेकिन अगर आपके पास सभी प्रणाली के प्रशिक्षक उपलब्ध हैं तो आप नवीनतम् प्रणाली का ही चयन करें, यह आपको सीखने में आसान और सहज होगी।
जैसा कि पहले बताया गया है कि स्टेनोग्राफी का प्रशिक्षण कई भाषाओं में दिया जाता है, जिस भाषा को आप अच्छी तरह से जानते हैं, उसी भाषा में स्टेनोग्राफी करनी सही होता है क्योंकि स्टेनोग्राफी के साथ—साथ हमें उस भाषा विशेष पर अच्छी पकड़ होना एवं उसकी व्याकरण का अच्छा ज्ञान होना भी आवश्यक होता है।
कैसे करें स्टेनोग्राफी ?
स्टेनोग्राफी का कोर्स एक वर्ष की अवधि का रखा गया है, जो औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थाओं यानि आई.टी.आई. में कराया जाता है और परीक्षा उपरांत आपको उत्तीर्ण होने पर प्रमाण पत्र दिया जाता है। इसके अतिरिक्त प्रदेश विशेष में बोर्ड अथवा परिषद् के माध्यम से भी आशुलिपि का प्रमाण पत्र प्रदान किया जाता है। 2013 तक मध्यप्रदेश में स्टेट बोर्ड द्वारा आशुलिपि का प्रमाण पत्र प्रदान किया जाता था, वर्तमान में यह बन्द कर दिया गया है।
अगर आप मात्र नॉलेज के लिए ही आशुलिपि प्रशिक्षण लेना चाहते हैं तो आप किसी कोचिंग या प्रशिक्षण संस्था को ज्वाइन कर सकते हैं, जहॉं पर आप निर्धारित शुल्क अदा कर प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं।
कौन सी प्रणाली बेहतर है ?
जिस प्रकार से आशुलिपि तमाम भाषाओं में कराई जाती है, उसी प्रकार से आशुलिपि की कई प्रणालियॉं भी हैं, जैसे — हिन्दी भाषा में ऋषि प्रणाली, सिंह प्रणाली, दत्त प्रणाली, मानक प्रणाली, जैन प्रणाली, विशिष्ट प्रणाली इत्यादि प्रणालियॉं हिन्दी आशुलिपि का प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए उपयोग हो रही हैं।
सभी प्रणाली अपनी—अपनी जगह पर बेहतर और श्रेष्ठ हैं। हॉं, यह अवश्य है कि जो प्रणाली प्राचीन है, उसके दोषों को नवीन प्रणाली में दूर कर दिया जाता है और एक सुलभ रूप में आपको आशुलिपि सिखाई जाती है। परंतु प्राचीन प्रणाली के प्रशिक्षक अधिक होने से अधिकांशत: प्राचीन प्रणाली को ही सिखाया जा रहा है। उदाहरणार्थ — ऋषि प्रणाली काफी पुरानी है, इसके बाद में अन्य प्रणालियॉं विकसित हुई हैं परंतु इनके प्रशिक्षक न होने से यह प्रणाली न तो सुनने को मिलती हैं और न ही इनके प्रशिक्षण संस्थान हर जगह देखने को मिलते हैं।
आपके लिए यही बेहतर होगा कि आपके आसपास जो प्रणाली सुलभ हो, उसका ही प्रशिक्षण प्राप्त करें लेकिन अगर आपके पास सभी प्रणाली के प्रशिक्षक उपलब्ध हैं तो आप नवीनतम् प्रणाली का ही चयन करें, यह आपको सीखने में आसान और सहज होगी।
महोदय, आलेख जानकारीप्रद तथा मार्गदर्शनीय है। वर्तमान कौन हिंदी में सुगम लेखन आशुलिपिक रहेगी।।।
ReplyDeleteपहले यह पता कीजिए कि आपके आसपास किन—किन प्रणाली के प्रशिक्षक उपलब्ध हैं। यदि ऋषि के अतिरिक्त मानक, दत्त आदि के प्रशिक्षक मिल जाएं तो आप इनको प्राथमिकता दें।
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