आशुलिपि प्रशिक्षण एवं परीक्षा प्रणाली

आशुलिपि सीखने के लिए आपको किसी भाषा और उस भाषा में प्रचलित प्रणालियों में से किसी एक प्रणाली का चयन करना होता है। यह चयन आपके आसपास की उपलब्धता पर निर्भर करता है। हिन्दी आशुलिपि की अगर बात की जाए तो अधिकांश प्रदेशा में ऋषि प्रणाली का ही वर्चस्व है क्योंकि इसके प्रशिक्षक जगह—जगह मिल जाते हैं। 


प्रत्येक प्रणाली में आशुलिपि सिखाने के लिए नियम निर्धारित किए गए हैं और आशुलिपि प्रशिक्षण का प्रारंभ वर्णमाला से होता है जिसमें प्रत्येक वर्ण को हल्की व भारी रेखा से दर्शाया जाता है। आशुलिपि की विभिन्न प्रणालियों में रेखाओं का एवं नियमों का ही अंतर होता है। यही कारण है कि एक प्रणाली का स्टेनोग्राफर दूसरी प्रणाली के संकेत को पूर्ण रूपेण सही से नहीं समझ सकता।

आशुलिपि का प्रशिक्षण स्टेज उसी प्रकार से होता है जैसे हम प्रारंभ से हिन्दी या अंग्रेजी की पढ़ाई करते हैं, पहले वर्णमाला, फिर बारहखड़ी, फिर शब्द एवं फिर वाक्यांश एवं अंत में अनुच्छेद। आशुलिपि के प्रशिक्षण के साथ ही अभ्यर्थी को टाइपिंग का प्रशिक्षण भी दिया जाता है ताकि आशुलिपि पूर्ण होने तक वह एक टाइपिस्ट बन सके। कारण यह कि आशुलिपि लिखने के बाद लिप्यंतरण करने के लिए टाइपराइटर या कंप्यूटर पर टाइपिंग करना होता है।

चूंकि इसमें संकेत रेखाओं के रूप में होते हैं और रेखाएं जटिल न होकर अत्यंत सरल एवं लेखन में सुलभ होती हैं जो कि बॉंये से दाएं लिखी जाती हैं इस कारण आशुलिपि सीखने के बाद आपकी गति 100 शब्द प्रति मिनट सामान्य रूप से हो जाती है। यही कारण है कि परीक्षाओं में आशुलिपि का मापदण्ड 80 और 100 शब्द प्रति मिनट रखा जाता है।

आशुलिपि परीक्षा पद्धति 
जब आपका प्रशिक्षण पूर्ण हो जाता है तो आपको निर्धारित शब्द प्रति मिनट की परीक्षा उत्तीर्ण करनी होती है।

80/100 शब्द प्रति मिनट TEST — इसमें आपको एक मिनट में 80/100 शब्द की गति से 05 या दस मिनट का श्रुतलेख बोला जाता है जो आपको आशुलिपि में लिखना होता है। बोला गया मैटर आपको दिखाया नहीं जाता है। श्रुतलेखन के बाद आपको निर्धारित अवधि 40/60 मिनट या अन्य में कंप्यूटर या टाइपराइटर के जरिए टाइप करके हिन्दी या अंग्रेजी (जो भी आशुलिपि हो) में बदलना होता है। टाइपिंग के दौरान आपको स्वयं ही पैराग्राफ, अल्पविराम, पूर्ण विराम आदि का प्रयोग करना होता है।

अंत में आपके टाइप किए गए मैटर को फिर मूल मैटर से मिलान किया जाता है। मैटर मिलान का तरीका यह होता है कि आपने कितनी गलतियॉं कीं, सामान्यत: 5 प्रतिशत: त्रुटियॉं माफ होती हैं। त्रुटियों का मापदण्ड अलग—अलग होता है।

♦ एस.एस.सी. स्टेनो में गलतियॉं कैसे ​गिनी जाती हैं ?

निर्धारित मापदण्डों के अनुसार आपकी त्रुटियों की गणना की जाती है एवं परिणाम घोषित किया जाता है। 5 प्रतिशत के अनुसार, 80 शब्द प्रति मिनट के 05 मिनट के श्रुतलेख में 20 त्रुटियॉं माफ होंगी। यदि आपकी 20 त्रुटि या इससे कम त्रुटि होती हैं तो आपको उत्तीर्ण घोषित किया जाता है एवं 21 या अधिक त्रुटि होने की स्थिति में आपको अनुत्तीर्ण घोषित किया जाता है।

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