क्या आप श—स और श—ष वाले शब्दों में गलतियॉं करते हैं ? यदि हॉं, तो आसान से कुछ ट्रिक अपनाइए और इन गलतियों को तत्काल दूर कीजिए।
दोस्तों, हम सभी हिन्दी भाषी हैं और हिन्दी हमारी मातृभाषा है, इसी में हमारे कार्य संपादित होते हैं। परंतु हिन्दी के व्याकरिणक ज्ञान के अभाव में अक्सर हम छोटी—मोटी त्रुटियॉं करते रहते हैं। आज हम आपको बताएंगे कि आप कैसे 'श—ष' और 'स—श' जैसे वर्ण से बनने वाले शब्दों में विभेद कर इनकी त्रुटियों से बच सकेंगे।
श—ष का विभेदन :— सबसे पहले हम बात करेंगे 'श—ष' से बनने वाले शब्द और 'श' और 'ष' के प्रयोग में अंतर की। अगर आपने हिन्दी वर्णमाला का अध्ययन किया है तो आपको पता होगा कि —
श ष स ह
इस प्रकार से वर्ण की व्यवस्था की गई है। यह व्यवस्था ही आपके लिए एक नियम होता है अर्थात जितने भी श—ष वाले शब्द होंगे उनमें 'श' वर्ण पहले और 'ष' वर्ण बाद में आएगा, जैसे— शोषण, शोषित, शेष, शीर्षक, शिष्ट, शिष्टचार, शुष्क आदि।
आप यूं समझ लीजिए कि हिन्दी वर्णमाला में 'श' पहले आया है और 'ष' बाद में, तो वर्णमाला के अनुसार बड़ा 'श' हुआ और 'ष' छोटा हुआ। इस प्रकार जब दोनों वर्ण एक साथ होंगे तो वरिष्ठता के आधार पर पहले 'श' ही आएगा।
इस प्रकार आप समझ सकते हैं कि अगर 'श—ष' दोनों वर्ण किसी शब्द में आए हैं तो किसी भी स्थिति में 'ष' को 'श' से पूर्व नहीं लिखा जाएगा, यानि षेश, षोशण जैसे शब्द गलत होंगे।
अब आप कहेंगे कि संघर्षशील में 'ष' के बाद 'श' क्यों आ गया ? मित्र, 'शील' एक प्रत्यय है जो मूल शब्द संघर्ष में जुड़ा हुआ है। शील चूंकि प्रत्यय है इसलिए उसमें बदलाव नहीं किया जा सकता है। लेकिन संघर्षशील मूल शब्द नहीं है कि इसमें यह नियम लगे कि 'श' पहले आएगा और 'ष' बाद में।
इस प्रकार आप समझ सकते हैं कि अगर 'श—ष' दोनों वर्ण किसी शब्द में आए हैं तो किसी भी स्थिति में 'ष' को 'श' से पूर्व नहीं लिखा जाएगा, यानि षेश, षोशण जैसे शब्द गलत होंगे।
अब आप कहेंगे कि संघर्षशील में 'ष' के बाद 'श' क्यों आ गया ? मित्र, 'शील' एक प्रत्यय है जो मूल शब्द संघर्ष में जुड़ा हुआ है। शील चूंकि प्रत्यय है इसलिए उसमें बदलाव नहीं किया जा सकता है। लेकिन संघर्षशील मूल शब्द नहीं है कि इसमें यह नियम लगे कि 'श' पहले आएगा और 'ष' बाद में।
स—श का विभेदन : 'श' और 'स' से बनने वाले शब्द भी अक्सर गलतियों का कारण बन जाते हैं क्योंकि कई शब्दों में 'स' पहले आता है और कई शब्दों में 'श', ऐसी स्थिति में सामान्य लोगों को असमंजस हो जाता है कि किन शब्दों में 'श' पहले आएगा और किन शब्दों में 'स' पहले होगा। चलिए इनके लिए भी हम आपको कुछ आसान से तरीके बताते हैं।
'श' और 'स' जब शब्द में एक साथ आते हैं तो इनमें भी वही नियम लागू होता है कि जो बड़ा है, वह पहले आएगा। वर्णमाला के अनुसार 'श' बड़ा है इसलिए जब 'श' और 'स' एक साथ आएं तो 'श' पहले लिखा जाएगा, जैसे— प्रशासन, शासन, शास्ति, प्रशासकीय, अनुशासन, अनुशासनिक, अनुशासनात्मक, शस्त्र, शास्त्र, शशांक, आश्वासन, श्वांस आदि।
अब हम आपको कुछ ऐसे शब्द बताते हैं जो आपके असमंजस का कारण होंगे जैसे—सशक्तीकरण, सशंकित, सशक्त, सशरीर, सशस्त्र आदि। आप कहेंगे कि इनमें 'स' पहले क्यों आया ?
मित्र, इसमें भी स को उपसर्ग के तौर पर मूल शब्द में जोड़ा गया है, जैसे शक्ति में स जोड़कर सशक्तिकरण बनाया गया, शंका में स जोड़कर सशंकित बनाया गया, शक्ति में स जोड़कर सशक्त बनाया गया, शरीर में स जोड़कर सशरीर बनाया गया।
आप यह समझिए कि यह जो शब्द हैं, यह मूल शब्द नहीं हैं अपितु यह स को जोड़कर एक नया अर्थ देने के लिए नवनिर्मित शब्द हैं। ऐसे शब्द अक्सर तब प्रयोग किए जाते हैं जहॉं पर अनेक शब्दों के लिए एक ही शब्द दिया जाना हो, जैसे शस्त्रों से सज्जित होकर के स्थान पर सशस्त्र, शरीर के साथ ही के लिए सशरीर इत्यादि।
आशा है कि आपका यह संशय दूर हो गया होगा कि 'श—स' और 'श—ष' का प्रयोग किस प्रकार से होता है। आपकी जानकारी के लिए हम बता दें कि उपरोक्त जानकारी जो हमने दी है वह कोई नियम नहीं है अपितु हमने अपने अनुभव के आधार पर दी है।
अगर आप नियम पढ़ेंगे तो आप इन शब्दों में विभेद करने के लिए कभी नाक से सॉंस निकालेंगे तो कभी कान से, तब भी आप यह नहीं समझ सकेंगे कि किन शब्दों में नासिका से ध्वनि निकलती है और किन शब्दों में मुॅंह से। फिर भी अगर आप गहराई में जाकर हिन्दी पढ़ना चाहते हैं तो आप हिन्दी व्याकरण पढ़ सकते हैं। अन्यथा हमारे इन नियमों को फॉलो करके आप इन त्रुटियों से निजात पा सकते हैं।
तो मिलते हैं, फिर नये पोस्ट में।
'श' और 'स' जब शब्द में एक साथ आते हैं तो इनमें भी वही नियम लागू होता है कि जो बड़ा है, वह पहले आएगा। वर्णमाला के अनुसार 'श' बड़ा है इसलिए जब 'श' और 'स' एक साथ आएं तो 'श' पहले लिखा जाएगा, जैसे— प्रशासन, शासन, शास्ति, प्रशासकीय, अनुशासन, अनुशासनिक, अनुशासनात्मक, शस्त्र, शास्त्र, शशांक, आश्वासन, श्वांस आदि।
अब हम आपको कुछ ऐसे शब्द बताते हैं जो आपके असमंजस का कारण होंगे जैसे—सशक्तीकरण, सशंकित, सशक्त, सशरीर, सशस्त्र आदि। आप कहेंगे कि इनमें 'स' पहले क्यों आया ?
मित्र, इसमें भी स को उपसर्ग के तौर पर मूल शब्द में जोड़ा गया है, जैसे शक्ति में स जोड़कर सशक्तिकरण बनाया गया, शंका में स जोड़कर सशंकित बनाया गया, शक्ति में स जोड़कर सशक्त बनाया गया, शरीर में स जोड़कर सशरीर बनाया गया।
आप यह समझिए कि यह जो शब्द हैं, यह मूल शब्द नहीं हैं अपितु यह स को जोड़कर एक नया अर्थ देने के लिए नवनिर्मित शब्द हैं। ऐसे शब्द अक्सर तब प्रयोग किए जाते हैं जहॉं पर अनेक शब्दों के लिए एक ही शब्द दिया जाना हो, जैसे शस्त्रों से सज्जित होकर के स्थान पर सशस्त्र, शरीर के साथ ही के लिए सशरीर इत्यादि।
आशा है कि आपका यह संशय दूर हो गया होगा कि 'श—स' और 'श—ष' का प्रयोग किस प्रकार से होता है। आपकी जानकारी के लिए हम बता दें कि उपरोक्त जानकारी जो हमने दी है वह कोई नियम नहीं है अपितु हमने अपने अनुभव के आधार पर दी है।
अगर आप नियम पढ़ेंगे तो आप इन शब्दों में विभेद करने के लिए कभी नाक से सॉंस निकालेंगे तो कभी कान से, तब भी आप यह नहीं समझ सकेंगे कि किन शब्दों में नासिका से ध्वनि निकलती है और किन शब्दों में मुॅंह से। फिर भी अगर आप गहराई में जाकर हिन्दी पढ़ना चाहते हैं तो आप हिन्दी व्याकरण पढ़ सकते हैं। अन्यथा हमारे इन नियमों को फॉलो करके आप इन त्रुटियों से निजात पा सकते हैं।
तो मिलते हैं, फिर नये पोस्ट में।
0 Response to "श—ष और स का अंतर — हिन्दी व्याकरण"
Post a Comment