मैं और में का अंतर — हिन्दी व्याकरण

अगर आप भी हिन्दी लेखन, हिन्दी टाइपिंग या आशुलिपि श्रुतलेख लिप्यंरण में हिन्दी व्याकरण की त्रुटियॉं करते हैं तो आपको यह नियम एक बार जरूर पढ़ने चाहिए। हालॉंकि यह कोई मानक नियम नहीं हैं परंतु आपको त्रुटियों से अवश्य बचाएंगे, ऐसा मेरा विश्वास है। 


आगे बढ़ने से पहले हम बता दें कि यह समस्त टिप्स हमने अपने अनुभव के आधार पर शेयर किए हैं। अगर आपको इसमें किसी प्रकार की त्रुटि प्रतीत होती है तो आप कमेंट्स के माध्यम से हमें अवगत करा सकते हैं। हम शीघ्र ही आपके सुझाव पर प्रतिक्रिया देंगे।

तो चलिए नियमों की शुरूआत करते हैं।

में और मैं का प्रयोग : हिन्दी व्याकरण में 'में' का प्रयोग संबंध या कनेक्टिविटी के संदर्भ में होता है, जैसे— गागर में सागर, आपके जेब में, कलियुग में। जबकि 'मैं' का प्रयोग कर्ता के रूप में होता है, जैसे— मैं आपके घर आउंगा। मैं सीता से प्यार का दिखावा नहीं कर सकता।

यह तो सभी जानते होंगे लेकिन इसके बावजूद भी लोग असमंजस में पड़ ही जाते हैं कि आखिर इन दोनों में से कौन सा मैं—में यहॉं प्रयुक्त होगा ? सामान्यत: यह स्थिति उन लोगों के साथ निर्मित होती है जो कहानी, लेख, समाचार पत्र आदि नहीं पढ़ते हैं।

हम तो आपको यह बात क्लीयर कर ही देंगे कि मैं—में कहॉं पर प्रयुक्त होगा परंतु हमारी सलाह मानिए तो आप प्रतिदिन एक कहानी, संपादकीय लेख, समाचार पत्र, निबंध बगैरह पढ़ना शुरू कर ही दीजिए। इससे एक तो आपकी शब्दावली मजबूत होगी और साथ ही साथ हिन्दी व्याकरण की त्रुटियॉं भी कम हो जाएंगी।

मैं और में पर आधारित एक अनुच्छेद : मैं और में के अंतर को स्पष्ट समझने के लिए हम यहॉं पर एक अनुच्छेद दे रहे हैं। आप उसे गौर से पढ़िए।

ट्रेन में बैठकर मैं कल अपने मामा के घर गया। घर के थोड़ी दूर पर ही उनका आम का बगीचा है, उसमें आम, अमरूद, अनार आदि के पेड़ लगे हैं। मामा के गॉंव में पहुॅंचते ही मैं बाग की तरफ भागा और मैंने आम के बगीचे में घुसकर बहुत से फल तोड़े और उन्हें जेब में भरकर मैं वापिस मामा जी के घर आ गया। मैं कोई बागवान तो हूॅं नहीं, इसलिए मेरी हरकतों से बाग में बहुत से पेड़ों को नुकसान हुआ। कई पेड़ों के पत्ते झड़ गए और कई पौधों में से कच्चे आम भी टूटकर जमीन पर गिर गए। आम तोड़ने की खुशी से कहीं अधिक मैं मन में ग्लानि का अनुभव कर रहा था।


उपरोक्त उदाहरण अगर आप गौर से देखें तो आपको एक बात समझ आ रही होगी कि 'में' का प्रयोग स्वतंत्र अस्तित्व में न होकर किसी न किसी शब्द के साथ जुड़ा है, जैसे— ट्रेन में, जेब में, मन में, पौधों में, गॉंव में, उसमें, बगीचे में इत्यादि। जबकि मैं का प्रयोग स्वतंत्र रूप से हुआ है।

इस प्रकार आप समझ सकते हैं कि 'मैं' कर्ता होने के कारण किसी भी वाक्य, अनुच्छेद आदि में स्वतंत्र अस्तित्व में रहता है जबकि 'में' संबंध सूचक, कनेक्टिविटी का सूचक होने के कारण किसी न किसी शब्द के अंत में जुड़कर अपना अस्तित्व बनाकर रखता है।

संक्षेप में कहा जाए तो 'में' अस्तित्व विहीन है जो कि किसी न किसी शब्द के बाद जुड़कर ही वाक्य, पैराग्राफ में हमें सुनने को मिलता है लेकिन जहॉं पर पूरा वाक्य 'मैं' शब्द पर टिका हो वहॉं पर कर्ता वाला 'मैं' प्रयोग होता है।

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उम्मीद है कि यह जानकारी आपको समझ आ गई होगी और आप भविष्य में हिन्दी में इस प्रकार की त्रुटि को तो दोहराएंगे नहीं।

मित्र, जाइएगा मत! क्योंकि यह तो शुरूआत है। हम ऐसे ही उपयोगी टिप्स आपके लिए लेकर आते रहते हैं तो समय—समय पर यहॉं पर आते ​रहिए और अपनी समस्याओं के बारे में सुझाव देकर हमें नये नये टिप्स बताने के लिए प्रेरित करते रहिए।
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