Inflation and Comman Man

सभापति महोदय, आपने इस ज्वलंत समस्या पर अपनी बात रखने के लिए मुझे जो अवसर प्रदान किया है, उसके लिए मैं आपके प्रति अपना आभार प्रकट करता हूॅं।  


इस विषय पर बोलते हुए मैं कहना चाहता हूॅं कि आज देश के 90 प्रतिशत लोग महंगाई की समस्या से ग्रसित हैं। आज महंगाई इस देश की सबसे ज्वलंत समस्या बन गई है। मैं मानता हूॅं कि उस तरफ बैठे लोग इस बात से सहमत नहीं होंगे कि देश के 90 फीसदी लोग महंगाई से परेशान हैं, वह यह अवश्य कहेंगे कि आखिर 90 फीसदी का आंकड़ा कहॉं से आया ? 

सभापति जी, यह आंकड़ा हमने काल्पनिक रूप से नहीं दिया है बल्कि उस कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर दिया है जो स्वयं सरकार ने बनाई है। कमेटी ने जो रिपोर्ट दी है उसमें यह साफ—साफ उल्लेख है कि इस देश में दस करोड़ परिवार गरीबी रेखा से नीचे हैं। यदि इस दस करोड़ की संख्या को गणितीय रूप से देखा जाए तो 50 करोड़ के करीब गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले होते हैं जो देश के तमाम शहरों और गॉंवों महंगाई की चपेट में हैं। मध्यम वर्ग की अगर बात की जाए तो मध्यम वर्ग की हालत भी ज्यादा ठीक नहीं है क्योंकि मध्यम वर्ग में हर घर में नौकरीपेशा या कामगार आदमी नहीं है। इन सब को यदि सामूहिक दृष्टि से देखा जाए तो यह आंकड़ा 90 फीसदी पर पहुॅंच जाता है।

ऐसा नहीं है कि इसी सरकार के शासनकाल में महंगाई बढ़ी है। इससे पहले की सरकारों के समय में भी महंगाई बढ़ी है परंतु उस समय की सरकारों ने इसे इस तरह से नजरअंदाज नहीं किया, जिस तरह से यह सरकार कर रही है। सरकार सारा दोष जनसंख्या वृद्धि पर थोपकर अपना पल्ला झाड़ रही है। 

मैं सरकार पर आरोप नहीं लगा रहा हूॅं, मैं बस आपके माध्यम से सरकार का ध्यान इस ओर खींचना चाहता हूॅं कि महंगाई की सुरसा ने आम आदमी के दो वक्त की रोटी को भी निगल लिया है और आज आम आदमी मूलभूत सुविधाओं के अभाव में जी रहा है। सरकार की ओर से हर बार यही कहा जाता है कि उसने महंगाई पर नियंत्रण कर लिया है। यदि सरकार ने महंगाई पर नियंत्रण कर लिया है तो उसका नियंत्रण दिखाई क्यों नहीं देता ? मेरी यही मॉंग है कि सरकार शीघ्र इस महंगाई पर नियंत्रण करे ताकि आम आदमी सहजता से दो जून की रोटी पाकर अपने परिवार के साथ सुखपूर्वक रह सके।
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